फासले हैं कितने और कहा,
किन किन के बीच
दीवारे हैं कितनी, और कहा,
किन किन के बीच
जानना चाहे भी,
तय करना चाहे भी
तो नामुमकिन हैं, क्योंकि
दुरिया हैं इतनी, इन हदों के बीच
फासले इंसान और उसकी ख्वाहिशों मैं
फासले कितने दिलो की दूरियों मैं
फासले कितने इंसान की मजबूरियों मैं
फासले हैं आते हर पल बनती यादो मैं
चाहते हैं कितना, कितनी ही शिद्दत से,
सिमट जाए, हासिल हो जाए
हर तमन्ना, हर सपना
ना रहे दिल की धडकनों से अब दूर कोई
पर जिंदगी है हर पल बदलता
इन्द्रधनुष, इन संघर्षों के बीच
तम्मनाओ , भावनाओं, ख्वाहिशो
धडकनों से भरपूर
आज तय होता एक फासला,
कई नए फासलो के बीच
और फिर भर जाता दामन,
कर जाता आदमी को मजबूर