कसक

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कसक सी उठती है सीने मैं

जब भी तुम्हारी याद आये

भीग जाती हैं पलके,

जब भी तुम्हारा जिक्र आये

 

सदियाँ बीत गयी

तुम्हारी एक झलक पाए

कैसी यह हवाएँ हैं,

तेरी खुशबू मेरे पास लाए

 

गुजर जाता हैं वक़्त,

ना तुम्हारी कोई खबर आये

जिए जाते हैं, ना तुम हो,

ना तुम्हारी वफाएं

 

यूँ तो हम खुश हैं, महफूज़ हैं

हर पल खुद को अपनो से घिरा पाए

पर दिल मैं टूटती तस्वीरे हैं ऐसी,

किसी को ना दिखा पाए

 

इन किरचो से उठती टीस,

बस इसी को अपना कह पाए

इन धडकनों को पकड़ कर रखते हैं

कही तेरी चाहत मैं छूट ना जाए

 

चाह नहीं की तुम्हारा साथ मिले,

तुम्हारे संग चले

हम तो बस चाहे इतना

किसी रोज तुम्हारी एक नज़र पाए

 

भूल जायेंगे उस दिन

तुमको सदा के लिए

जिस दिन तुमसे फिर

एक पल के लिए आशना हो जाये

 

हवा भी सरगोशियाँ करती हैं

कानो मैं मेरे

कसक सी उठती है सीने मैं,

जब भी तुम्हारी याद आये

भीग जाती हैं पलके,

जब भी तुम्हारी याद आये

11 responses »

    • आपका धनयवाद मेरी रचनाओं को पसंद करने और प्रेरणा देने के लिए

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