इक नज़र प्यार की
इक नज़र इकरार की
इक नज़र में जी गयी
मैं ना जाने कितने जनम
इक नज़र तेरे साथ की
मैं हो गयी तेरी सनम…..
इक नज़र उस चाँद की
इक नज़र उस खवाब की
आके मेरे दामन में
जो कर गए पूरा मुझे
दे गए हज़ार नैमते
दिल के यह दो टुकड़े मेरे….
इक नज़र ने दे दिए ना जाने कितने ही पल
एक नज़र के वास्ते चल दिए कितने कदम
इक नज़र में जी गए जाने कितने जनम
एक नज़र प्यार की…….
‘एक नज़र के वास्ते चल दिए कितने कदम’-बेहतरीन पंक्ति. जीवन में बहुत कुछ ऐसा घटा है, शायद इसलिए समझना बहुत आसान है मेरे लिए.
शिवांगी सच हैं ना हम कितना कुछ कर जाते हैं…सह जाते हैं…सिर्फ इक नज़र के लिए…मुझे तुम्हारे ब्लॉग का शीर्षक बहुत भाया “उन्मुक्त” जो हम सब होना चाहते हैंl
Beautiful….Ek Nazar….