काली घनी बदली
बाहर बरसता पानी
हवा से नाचते पत्ते
क्या मौसम हैं रूमानी
प्रियतम हो पास,
हो हाथो मैं हाथ,
और काँधे पर सर,
हर अधीर मन यह चाहे
लो, मन का मयूरा नाचे
छिडे दिल के तार
नयी धुन,
नए संगीत से सजती
ठंड सी पड़ती सीने मैं
जो आज बरसात मैं
मैं तुमसे सी मिलती
याद हैं, वोह बारिश
जो सिर्फ हमारे नाम हैं,
नए साथ का श्रृंगार हैं
पहले भी कई बार बरसी
उन बूंदों मैं,
फिर भी नया अहसास हैं
जब भी टपकती हैं बूंदे
नयी पुरानी बारिश मैं
मन करता हैं भीग आये
चल आये कई कदम
इस मौसम रूमानी मैं
padh kar aisee kavitaa
har man bahak jaaye
jaane kab likh paunga is tarah ….
Thanks All..@ Sandesh..you are too kind…Your blog is very good…
Roomani ahesaas-roomani ahesaas,bahut hi sunder………..
Reblogged this on पदचिंह….Footprints of Past and Future and commented:
loving the rains…beautiful weather…and beautiful company