सपने

Standard

दिन पर दिन गुजर जाते हैं

बिना कुछ कहे बिना कुछ सुने

बस चलता जाता हैं

समय का निरंतर पहिया

बिना ठिठके, बिना रुके

 

हौल सी उठती हैं सीने मैं

कुछ कहे, कुछ सुने

पास उनको बैठा,

कुछ नए सपने बुने

नई चाहतो की मूरत गड़े

 

जीवन की भागा भागी मैं

चंद पल अपनी हथेली मैं लिखे

औंस की बूंदों की बिखरती नमी

अपनी पलकों से चुने

सच कुछ कहे कुछ सुने

 

यूँ तो पूरी हो जाती हैं

रोजमर्रा की हकीकते

मिल जाती हैं ख्वाहिशे

पर रह जाती हैं अधूरी

तुम्हारे संग, सुकून की चाहते

 

आस पास जब देखते हैं औरो को

हाथ से फिसलती सी लगती हैं जिंदगी

तो लगता हैं कैद कर ले यह लम्हे

इस भाग धौड़ मैं बैठ साथ

कर ले पूरे हर अधूरे सपने

3 responses »

  1. सच में कभी कभी लगता है, इस भाग-दौड़ वाली जिंदगी में
    कुछ पल साथ बैठ कर अपने अधूरे सपने पुरे कर लें!

  2. कल 22/05/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

Leave a Reply

Please log in using one of these methods to post your comment:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s