Jun27 लघुता Posted on June 27, 2012 by Reach_arcs Standard नदी किनारे गीली रेत पर पड़ा वोह नन्हा सा कदम् कितना आनंदित कर जाता हैं ओ़स की छोटी सी बूँद से रेशम सा कोमल पता कितना उल्लसित हो जाता हैं दोनों ही लघु रूप मैं दोनों ही अबोधता मैं यही लघु रूप खोजती हूँ सब मैं चाहे वोह इंसान हो या अश्रु Share this:FacebookTwitterLike this:Like Loading...
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