राग सुन्हेरी, आशा मनसंगी
प्रियतम प्यारे, संग तुम्हारे
चल दी बिन सोचे, बिन जाने
मैं, तुम्हरी सजनी अलबेली
सुंदर चितवन, स्वप्न अनोखे
बिन बोले, बिन जाने
क्षण भर मैं चल जाते
नैनो से शब्द, हाय यह बाण नशीले
मीठी बोली, मीठी बाते
सच, भी, सुन्दर भी
तुम्हरे अधरों से आती
जीवन की हर बात रंगीली
चंचल मन के मयूर
नाचे झूम झूम, झूम झूम
भीघ जाती, सिहर जाती
तृप्त हो जाती, सावन की बदरी मैं
पंख पैसारे , बांह फैलाये
उड़ जाती उन्मुक्त गगन मैं
नए आसमान, नयी दिशाए
तुम्हरे संग की प्यासी,
हो जाती यूँ पूरी मैं
राग सुन्हेरी, आशा मनसंगी
चल दी साथ तुम्हारे
बिन पूछे, बिन जाने
हैं ना प्रियतम, यह दिन कितना अतरंगी
हूँ ना मैं, तुम्हरी सजनी अलबेली
बहुत प्यारे और कोमल से भावों से रचित सुंदर रचना ….
dhanywaad Sangeeta
कोमल सी रचना