कहने को, बयाँ करने को, हसीं पल हैं बहुत
लिखने को, गढ़ने को, कोहिनूर हैं बहुत
चाहने को, आरज़ूओं का मेला हैं बहुत
तमना करे जिनकी, ऐसी चाहते हैं बहुत
पाया हैं ज़िन्दगी मैं प्यार हमने बहुत
इसिलए शुक्रिया अता करने को, दुआ देने को हैं बहुत
दुःख की लहरें जब भी उठी , खुशियों का साया बहुत
हंसी की नूरानी जब फीकी पड़ी, चंदा की चांदनी बहुत
पतझड़ के पीले पतों पर, सावन की बौछार बहुत
जब भी दामन खाली हुआ, दोस्तों का नज़राना बहुत
पाया हैं ज़िन्दगी मैं प्यार हमने बहुत
इसिलए शुक्रिया अता करने को, दुआ देने को हैं बहुत
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