आके धीरे से मेरे अक्स ने पूछा
तेरी मुठी मैं ऐसा क्या हैं
क्यों यह बंद, तेरे सीने से लगी
की सांस रहे या रूक जाए,
यह तेरी मुठी बंद ही रहे
बता न पगली, क्या राज़ हैं छुपा
मैं मुस्काई, आँखों मैं हलकी नमी सी आई
बोली यह बंद मुठी हैं मेरे जीवन का सार
छुपा हैं टेडी मेडी, उंच नीची रहो का भार
आजा बता दूं तुझे, छेड़ दूं सरगम के तार
खोल देती हूँ यह मुठी, सिर्फ एक बार
सबसे पहले हैं इसमें सुगंध माँ के प्यार की
पारिजात के फूलो जैसी महक उनकी ऐसी
माँ की मैं लाडली, छाया हु मैं उसकी
हैं बंद इसमें बाबा के हाथो का दुलार
झोली भर भर के हैं आशीष इस मुठी मैं
उनके, जो रहे मार्गदर्शक मेरे बारम्बार
इस मुठी मैं हैं, बचपन की यादें, भाई का साथ,
वोह शरारते, वोह नटखट पल,
मौसी, मामा, बुआ, चाचा, कितने ही रिश्ते
किस्से कहानियों और दोस्तों का साथ,
इसमें हैं ताना बना, धागों का
जो हैं वजूद मेरा, अस्तित्व मेरा
बुनती हूँ, जिसमे हर दिन हर पल
नयी पुराने , किस्सों का कहा
यह बंद मुठी हैं मेरी, मेरे गाव, मेरे शहर,
मेरे देश से मेरी पहचान, एक अटूट गाँठ
जो हर बार, उन गलियों मैं मुझे ले जाती हैं
आशना करा देती हैं, जब भी होता हैं दिल उदास
यह संभाल कर, संजो कर रखी हैं जीवन की आंस
यह बंद मुठी हैं मेरे अक्स, तेरा ही परिचय
जिसके बिना मैं अधूरी, और तू बेनाम