ज़ख़्म जों हमने दिखाये उनको, तो उन्होंने हम पर ही कमज़ोर होने का इल्ज़ाम लगा दिया,
और जिनसे हमने दामन के दर्द छुपाए, उन्होंने हमारी आँखों की नमी को अपनी पलकों पर बसा लिया।
बहुत मुश्किल हैं समझना कौन हैं अपना और कौन पराया
बस इन उलझनों ने हमें अपने जज़्बात दिन रात छुपाना सीखा दिया ।