
भागते रिश्ते

इश्क़ भी इकतरफा, दिल का धड़कना भी इकतरफा,
जो देखा था इन आंखों ने तुझे एक जमाने पहले
वोह देखना भी सिर्फ और सिर्फ इकतरफा
तुझसे बिछड़े, तो टूट के बिखर जाने का दर्द भी इकतरफा
किताबो के पीले पन्नो मैं रखी,
धुन्धलIती तस्वीर से बोलती तेरी आंखों मैं,
मेरे इश्क़ की परछाईं इकतरफा
टूट के बिखर जाने का दर्द भी हाय इकतरफा
इक समय जिस हंसी पर मरा करते थे
जो तुम्हारे लबो से हमारे दिल तक उतर जाती थी
उस हसीं याद से हमारे दिल का धड़कना इकतरफा
टूट के बिखर जाने का दर्द भी हाय इकतरफा
सदियों का फासला तय कर चुका हैं अकेले
न तब और न अब, कह पाए दिल का हाल
वोह दिलो की गहराइयों का अकेलापन इकतरफा
टूट के बिखर जाने का दर्द भी हाय इकतरफा
वोह छुपछुप कर तुझे देखना इकतरफा
इश्क़ भी इकतरफा, दिल का धड़कना भी इकतरफा,
टूट के बिखर जाने का दर्द भी हाय इकतरफा
………………………………..। रश्मि ।
नूतन वर्ष की देहलीज पर,
शुभ प्रवेश हो, आप का
नव वर्ष के उगते सूरज की रश्मियों से,
जीवन प्रकाशमान हो, आप का
दोनों हाथ जोड़ प्रार्थना हैं, इस नए साल मैं
मंगलमय हो हर एक कदम आप का
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये
ज़ख़्म जों हमने दिखाये उनको, तो उन्होंने हम पर ही कमज़ोर होने का इल्ज़ाम लगा दिया,
और जिनसे हमने दामन के दर्द छुपाए, उन्होंने हमारी आँखों की नमी को अपनी पलकों पर बसा लिया।
बहुत मुश्किल हैं समझना कौन हैं अपना और कौन पराया
बस इन उलझनों ने हमें अपने जज़्बात दिन रात छुपाना सीखा दिया ।
Ek arsa hua tumhe gaye,
Ek arsa hua hume, jeeye jeeye,
Jab tum the, haste the saath, jindagi bhi ji,
Ankhon se tapkti, tumhari chanchal, hasi bhi pi,
Betahasha palo ko, humne youn guzarne diya,
Bus un lamho ko, dil ki tijori main kaid hi na kiya,
Kehne ko to waqt hi hai, gujar gaya,
Har pal, apne main kai lambi sadiya liye.
Pata hota ki tum chale jaoonge,
To band kar muthi main rakh leti unhe,
Tumhari har chuan ko, rom rom main bher leti main,
Har pyar, har takrar, har shararat, har ek nazar ko,
Dil ki gahariyon se jakad leti main,
Bahut mushkil hain jeena tumhare bin,
In siskiyon main, tumhari awaz sun leti kahi,
Bus youn hi kuch aur tumhe, jee leti thi main.
Kaash pal do pal, aur tumhara saath hota,
Apni jindagi main, chaar pal aur jod leti main,
Woh chaar pal, jinke sahare, sadiyan gujaar leti,
Khud jeeti aur tumhe murat main utar leti,
Ek halka abhaas bhi hota, ki itna hi saath hamara,
Khuda se tumhe, aur maang leti main,
Duan main tumhe maang leti thi main.
Yaado ka kya hain, ankhoon ke aage baithi rehti hain
Bitiya ki hansi, ya nani ki rasoi
Dil ke darwazoo se jhankti rehti hain
Kehte hain sab ki kya baat, videsh main ho tum
Nahi jaante, in yaado ki shiddat bahut hoti hain
Dost meri, tum aur main dono hi jee rahe hai in yaado ko
Fark fakt itna tum pass ho aur main door us mohhle se
पहली बारिश की सौंधी महक मैं
सरदी की गुलाबी दौपहर मैं
गर्मी की उस तेज उमस मैं
और फागुन के सुन्हेरी स्नेह मैं
घर याद आता हैं, बहुत याद आता हैं
बाबा के हलके से कांपते हाथो मैं
माँ की धीरे होती काम की रफ़्तार मैं
भाई की कम होती शरारतो मैं
घर की पुरानी होती दीवारों मैं
घर याद आता हैं, बहुत याद आता हैं
अपने बालो की हलकी से सफेदी मैं
अपने बच्चो की बढ़ती उम्र मैं
यादो की गलियों मैं
बनती मिटती, धुन्द्लाती तस्वीरों मैं
घर याद आता हैं, बहुत याद आता हैं
बॉलीवुड की फिल्मो मैं,
त्योहारों की लड़ियों मैं
पुराने संभाले खतो मैं, खानों की महक मैं
देश की रोज बदलती, सुनी अनसुनी खबरों मैं
घर याद आता हैं, बहुत याद आता हैं
बहुत दूर हूँ बैठी घर से
अपना नया घर बनाये
एक आंगन पीछे छोड़
एक नया आशियाना बनाये
घर याद आता हैं, बहुत याद आता हैं
उस मट्टी, उस हवा,
उस अहसास से मीलो दूर
फिर भी वही अपने अंदर दबाये
नए देश मैं, पुराने रंग ढूँदती
घर याद आता हैं, बहुत याता हैं
कैसा हैं असमंजस,
कैसी हैं यह, विडंबना
रोज जीती हूँ, एक नयी मूरत बनाये
रोज मिटी भी जाती हूँ, याद का दीपक जलाए
घर याद आता हैं, बहुत याद आता हैं
आके धीरे से मेरे अक्स ने पूछा
तेरी मुठी मैं ऐसा क्या हैं
क्यों यह बंद, तेरे सीने से लगी
की सांस रहे या रूक जाए,
यह तेरी मुठी बंद ही रहे
बता न पगली, क्या राज़ हैं छुपा
मैं मुस्काई, आँखों मैं हलकी नमी सी आई
बोली यह बंद मुठी हैं मेरे जीवन का सार
छुपा हैं टेडी मेडी, उंच नीची रहो का भार
आजा बता दूं तुझे, छेड़ दूं सरगम के तार
खोल देती हूँ यह मुठी, सिर्फ एक बार
सबसे पहले हैं इसमें सुगंध माँ के प्यार की
पारिजात के फूलो जैसी महक उनकी ऐसी
माँ की मैं लाडली, छाया हु मैं उसकी
हैं बंद इसमें बाबा के हाथो का दुलार
झोली भर भर के हैं आशीष इस मुठी मैं
उनके, जो रहे मार्गदर्शक मेरे बारम्बार
इस मुठी मैं हैं, बचपन की यादें, भाई का साथ,
वोह शरारते, वोह नटखट पल,
मौसी, मामा, बुआ, चाचा, कितने ही रिश्ते
किस्से कहानियों और दोस्तों का साथ,
इसमें हैं ताना बना, धागों का
जो हैं वजूद मेरा, अस्तित्व मेरा
बुनती हूँ, जिसमे हर दिन हर पल
नयी पुराने , किस्सों का कहा
यह बंद मुठी हैं मेरी, मेरे गाव, मेरे शहर,
मेरे देश से मेरी पहचान, एक अटूट गाँठ
जो हर बार, उन गलियों मैं मुझे ले जाती हैं
आशना करा देती हैं, जब भी होता हैं दिल उदास
यह संभाल कर, संजो कर रखी हैं जीवन की आंस
यह बंद मुठी हैं मेरे अक्स, तेरा ही परिचय
जिसके बिना मैं अधूरी, और तू बेनाम
दिल के किसी कौने मैं
हसरतें करवट बदलती है
नयी उमंगें उमड़ती है…
कुछ पुरानी लौ लगती है
सपनों को पंख, और
उम्मीदों को उम्र चढ़ती है
रंगीन चाहतो के ताने बाने मैं
ज़िंदगी गुज़रती है
विडम्बना फिर भी वही
जहाँ अiरजूऔ का मेला है
वहाँ हर पल, तनहा अकेला है
साँझ की चौखट पर
नये सूरज को तकता है
शायद कोई नयी सुबह हौ
बस दिल के किसी कौने मैं
एक बार नहीं हर बार
नयी लहरें हिलौरे लेती है
नयी उमंगें उमड़ती है………..
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