साथ चले, वोह मेरे साथ
लिखे रेत मैं, नए अध्याय
बिन जिनके मैं हुई अकेली
साथ हुए, तो हुई मैं पूरी
हैं वोह टुकड़े दिल के मेरे ख़ास
छोटे हाथ, बड़ा हैं प्यार
जो कर दे पूरा, मन का मान
मासूम सा स्पर्श, सुँदर अहसास
बिन जिनके मैं हुई अकेली
साथ हुए, तो हुई मैं पूरी
हैं वोह टुकड़े दिल के मेरे ख़ास
तुतले शब्द, अधूरे वाक्य
पर भरे हैं कितने कोमल भाव,
शीतल शीतल, जीवन की साँस
बिन जिनके मैं हुई अकेली
साथ हुए, तो हुई मैं पूरी
हैं वोह टुकड़े दिल के मेरे ख़ास
मेरे प्यारे, मेरे दुलारे
आंखों के सपने सारे
सारे आशीष हो सदा उनके साथ
बिन जिनके मैं हुई अकेली
साथ हुए, तो हुई मैं पूरी
हैं वोह टुकड़े दिल के मेरे ख़ास
जीवन के चक्र मैं,
इस रंगमंच पै, मेरे कई नाम
पर उनका आना, कर जाता पूरा
देता अस्तित्व को नयी पहचनान
वोह हैं मेरे दिल के टुकड़े,
मैं हूँ उनकी “माँ”
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