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उम्मीद

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हर सुबह, जब आँख खुलती हैं

टूट जाते हैं कई सपने

रह जाते हैं कई ख्वाब अधूरे

जिंदगी सजा सी लगती हैं

 

आधे ख्वाब, या आधी हकीकत

या फिर आधा फ़साना

हर इंसान को टूटे सपने की किरचे

जागते हुए नासूर सी लगती हैं

 

पर जुड जाते हैं कई और लम्हे

नए दिन की शुरुआत से

रंग भर जाते हैं कई नए सपने

हर नयी रात के आगाज़ मैं

 

हर दिन नए पल, नए रिश्ते

नए अहसास और नए सपने

ना मानो अधूरे ख्वाबो को सजा, ऐ दोस्त

हर नए सपने को नयी उम्र लगती हैं

 

यक़ीनन जिंदगी हैं ऐसा मल्हम

हर उम्मीद को नयी उम्मीद लगती हैं